प्रिय पत्रकार जी,
मुझे उम्मीद है आप अपने AC के studio में अच्छे होंगे। आजकल सोशल मीडिया ने आपका काम बहोत ज्यादा आसान बनाके के रखा हुवा है. कही जाने की जरुरत नहीं और सीधी खबर विश्लेषण के साथ आप तक आ जाती है. आपकी तरह मुझे अछा बोलना नहीं आता क्यों की मैं किसी JNU या फिर और किसी पोलिटिकल पार्टी से नहीं हु. लेकिन अभी से मैं जान गया की मेरी चीट्टी पढ़ने से पहले आप मेरे ऊपर भक्त का ठप्पा लगा दोगे लेकिन मुझे ये ही आपसे उम्मीद है. मैं तो आपको ये बताने के लिए चिट्टी लिख रहा हु की आप किस तरह से निचले स्तर तक गए हो इसका अंदाज़ा आपको नहीं है. एक बात तो मैं मान गया हु की आप लोग कुछ भी कर सकते हो और कोई भी आपका बाल भी बाका नहीं कर सकता. आप अगर चाहो तो किसीको भी एक पल में हीरो बना सकते हो जो पिछले साल JNU में हम सब देख चुके है.मुझे आपसे ये ही उम्मीद है और आगे भी यही उम्मीद रहेगी.
इस देश का इतिहास रहा हुवा है की कोई भी यहाँ के लोगो को अपनी बातो में फसाकर राज कर सकता है. लेकिन इतिहास हमेशा इतिहास होता है और वर्तमान काल एक एक पल में इतिहास बनता रहता है. एक बात तो आपको भी पता है की भविष्यने हमेशा अच्छे लोगो को ही याद रखा हुवा है और बुरे लोगो को भी. मेरा देश है ही ऐसा, हर एक के पास इस देश को बदलने का का मौका मिला हुवा है लेकिन आपने हमेशा सिक्के का एक पहलू सामने रख के ही अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया है और आगे भी बढ़ाते रहोगो. मुझे पता है की हमारी कोई सुनने वाला नहीं है. जिस तरह से इस देश की बर्बादी के लिए हम लोग जिम्मेदार है उसी तरह से आनेवाले कल की बर्बादी के लिए भी हम लोग ही ज़िम्मेदार रहेंगे. पहले नेता लोगो ने हमारी आखो पे पट्टी बांध के रखी हुयी थी और अब आप की बारी है.
हमारी इसीलिए कोई नहीं सुनता क्यों की हमे भारत के खिलाफ नारे देना नहीं आता, हमे कोई इसीलिए नहीं सुनता क्यों की हम दिल्ही में नहीं रहते और हम किसी पोलिटिकल या न्यूज़ के काम के नहीं है, हमे इसीलिए कोई नहीं सुनता क्यों की हमारे बहनो से किसी ABVP के कार्यकर्ता ने छेड़खानी नहीं की है, और जिसने की है उसके खिलाफ बोलने के लिए हमारे पास ताकत नहीं और ना ही आपका कोई रिपोर्टर। बड़ी मुश्किल से पिछले ७० सालो से आज़ादी में रहने का बहाना कर रहा हु क्यों की मुझे अपनी रोटी से ज्यादा अपनी भारत माँ की इज्जत प्यारी है (मैं तो भूल ही गया की आजकल भारत माता कहना भी non-secular होता है). अब आप से क्या छुपाना साहेब, आपने हमारे दर्द का ठेका ले के रखा हुवा है इसीलिए आपको बताना चाहता हु (मुझे पता इसके कोई मायने नहीं है, क्यों की हमारे यहाँ पे कोई इलेक्शन नहीं है और आपका सारा इन्वेस्टमेंट अभी UP में लगाके रखा हुवा है इसीलिए आपके पास वक़्त नहीं है .) बात ये है की आजकल हम लोग TV देखना बंद किये है क्यों की हमसे देखा नहीं जाता जो आप दिखाते हो (अब आप ये कहोगे की अगर पसंद नहीं है तो बंद कर दो, हमे तो आज़ादी है) आपकी बात भी सही है, आप सब लोगो को बोलने की आज़ादी ये बताने के लिए की यहाँ पे आज़ादी कैसे मिलेगी, सिर्फ हमे ही आज़ादी नहीं है आपका मुह बंद करने की. साहेब मजाक करना तो हमारी फितरत नहीं है लेकिन इन सब मजाक में हमारा दर्द है जो आपको कभी नहीं दिखेगा.
अब ऐसा लगता है की काश हम आज़ाद ही नहीं हुवे होते. काश हमारे ऊपर कोई राज करने वाला होता और बोलने की आज़ादी पर पाबंदी होती तो भारत के टुकड़े जैसे शब्द सुनने को नहीं मिलते, लेकिन आपका नशीब देखिये न साहेब, भारत माता ने खुद के टुकड़े करके भी आपको और टुकड़े करने वाले को कितना फायदा दिया है, दोनों की रोज़ी रोटी अच्छेसे चल रही है. लेकिन साहेब, और कितने अपनी माँ की इज्जत बेचके अपने स्टूडियो में मजे करोगे. चलिए कोई बात नहीं, आप भी मेरे ही हो इस माँ ने कुछ नहीं कहा आपको तो मैं कौन होता हु कुछ कहने वाला। आप लगे रहो, मैं आज रात की ड्यूटी ख़तम करता हु, वरना मेरी ड्यूटी मैं ठीक से कर रहा हु या नहीं उसका भी सबूत देना पड़ेगा.
नमस्ते !
आपसे हर रोज़ चोट खाता हुवा एक भारतीय नागरिक
मुझे उम्मीद है आप अपने AC के studio में अच्छे होंगे। आजकल सोशल मीडिया ने आपका काम बहोत ज्यादा आसान बनाके के रखा हुवा है. कही जाने की जरुरत नहीं और सीधी खबर विश्लेषण के साथ आप तक आ जाती है. आपकी तरह मुझे अछा बोलना नहीं आता क्यों की मैं किसी JNU या फिर और किसी पोलिटिकल पार्टी से नहीं हु. लेकिन अभी से मैं जान गया की मेरी चीट्टी पढ़ने से पहले आप मेरे ऊपर भक्त का ठप्पा लगा दोगे लेकिन मुझे ये ही आपसे उम्मीद है. मैं तो आपको ये बताने के लिए चिट्टी लिख रहा हु की आप किस तरह से निचले स्तर तक गए हो इसका अंदाज़ा आपको नहीं है. एक बात तो मैं मान गया हु की आप लोग कुछ भी कर सकते हो और कोई भी आपका बाल भी बाका नहीं कर सकता. आप अगर चाहो तो किसीको भी एक पल में हीरो बना सकते हो जो पिछले साल JNU में हम सब देख चुके है.मुझे आपसे ये ही उम्मीद है और आगे भी यही उम्मीद रहेगी.
इस देश का इतिहास रहा हुवा है की कोई भी यहाँ के लोगो को अपनी बातो में फसाकर राज कर सकता है. लेकिन इतिहास हमेशा इतिहास होता है और वर्तमान काल एक एक पल में इतिहास बनता रहता है. एक बात तो आपको भी पता है की भविष्यने हमेशा अच्छे लोगो को ही याद रखा हुवा है और बुरे लोगो को भी. मेरा देश है ही ऐसा, हर एक के पास इस देश को बदलने का का मौका मिला हुवा है लेकिन आपने हमेशा सिक्के का एक पहलू सामने रख के ही अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया है और आगे भी बढ़ाते रहोगो. मुझे पता है की हमारी कोई सुनने वाला नहीं है. जिस तरह से इस देश की बर्बादी के लिए हम लोग जिम्मेदार है उसी तरह से आनेवाले कल की बर्बादी के लिए भी हम लोग ही ज़िम्मेदार रहेंगे. पहले नेता लोगो ने हमारी आखो पे पट्टी बांध के रखी हुयी थी और अब आप की बारी है.
हमारी इसीलिए कोई नहीं सुनता क्यों की हमे भारत के खिलाफ नारे देना नहीं आता, हमे कोई इसीलिए नहीं सुनता क्यों की हम दिल्ही में नहीं रहते और हम किसी पोलिटिकल या न्यूज़ के काम के नहीं है, हमे इसीलिए कोई नहीं सुनता क्यों की हमारे बहनो से किसी ABVP के कार्यकर्ता ने छेड़खानी नहीं की है, और जिसने की है उसके खिलाफ बोलने के लिए हमारे पास ताकत नहीं और ना ही आपका कोई रिपोर्टर। बड़ी मुश्किल से पिछले ७० सालो से आज़ादी में रहने का बहाना कर रहा हु क्यों की मुझे अपनी रोटी से ज्यादा अपनी भारत माँ की इज्जत प्यारी है (मैं तो भूल ही गया की आजकल भारत माता कहना भी non-secular होता है). अब आप से क्या छुपाना साहेब, आपने हमारे दर्द का ठेका ले के रखा हुवा है इसीलिए आपको बताना चाहता हु (मुझे पता इसके कोई मायने नहीं है, क्यों की हमारे यहाँ पे कोई इलेक्शन नहीं है और आपका सारा इन्वेस्टमेंट अभी UP में लगाके रखा हुवा है इसीलिए आपके पास वक़्त नहीं है .) बात ये है की आजकल हम लोग TV देखना बंद किये है क्यों की हमसे देखा नहीं जाता जो आप दिखाते हो (अब आप ये कहोगे की अगर पसंद नहीं है तो बंद कर दो, हमे तो आज़ादी है) आपकी बात भी सही है, आप सब लोगो को बोलने की आज़ादी ये बताने के लिए की यहाँ पे आज़ादी कैसे मिलेगी, सिर्फ हमे ही आज़ादी नहीं है आपका मुह बंद करने की. साहेब मजाक करना तो हमारी फितरत नहीं है लेकिन इन सब मजाक में हमारा दर्द है जो आपको कभी नहीं दिखेगा.
अब ऐसा लगता है की काश हम आज़ाद ही नहीं हुवे होते. काश हमारे ऊपर कोई राज करने वाला होता और बोलने की आज़ादी पर पाबंदी होती तो भारत के टुकड़े जैसे शब्द सुनने को नहीं मिलते, लेकिन आपका नशीब देखिये न साहेब, भारत माता ने खुद के टुकड़े करके भी आपको और टुकड़े करने वाले को कितना फायदा दिया है, दोनों की रोज़ी रोटी अच्छेसे चल रही है. लेकिन साहेब, और कितने अपनी माँ की इज्जत बेचके अपने स्टूडियो में मजे करोगे. चलिए कोई बात नहीं, आप भी मेरे ही हो इस माँ ने कुछ नहीं कहा आपको तो मैं कौन होता हु कुछ कहने वाला। आप लगे रहो, मैं आज रात की ड्यूटी ख़तम करता हु, वरना मेरी ड्यूटी मैं ठीक से कर रहा हु या नहीं उसका भी सबूत देना पड़ेगा.
नमस्ते !
आपसे हर रोज़ चोट खाता हुवा एक भारतीय नागरिक